शिव स्तुति हिन्दी

हे मोक्ष रूपी विभु शंभु भोले।
है व्यापक ये ब्रह्म रूप वेदों की वाणीँ।।
ईशान दिशा के प्रभु सबके स्वामी।
हे भोले शंकर नमामी नमामी।।

निराकार ओंकार के हो मूल शंभु।
ज्ञानेन्द्रियों से परे ज्ञान वाणीं।।
विकराल है रूप कैलाश स्वामी।
महाकाल के काल फिर भी कृपालु।।
संसार से दूर गुणों धाम वासी।
हे शंभु भोले नमामी नमामी।।

अडिग और गम्भीर हिमालय के जैसा।
कामदेव करोडों भी फीके हों जैसे
छटा जिसकी कांति प्रताप ऐसा।
सिर पर जटाजूट सुन्दर तरंगें।
बसी है जहां देवी मात गंगे।
माथे पे सोहे द्वितीया का चंदा।
पड़ी कंठ में जैसे माला भुजंगा।।

कानों में कुन्डल बड़े ही निराले।
अतिसोम्य भृकुटी हैं नेत्र विशाला।
है नीलकंठ और प्रसन्न मुख दयालु।
सिंहचर्म का वस्त्र गले मुंडमाला।।
हो सबके प्यारे जगत के हो स्वामी
मेरे भोले शंभु नमामी नमामी।।

तेजस्वी परमेश्वर बल तेज स्वामी।
ना हो खंड जिसका अजन्मे हैं शंकर।
प्रकाशित है जिससे करोड़ों ही दिनकर।
दैहिक,दैविक,भौतिक,दुखों से।
करें दूर भक्तों को अनुनय विनय से।
हे भोले बाबा त्रिशूल धारी।
प्रेम से भक्त जो भी पुकारे।
भवानी पति जाये उसके ही द्वारे।
हे गौरीशंकर मेरे भोले बाबा
नमामी नमामी शत शत नमामी।

भजो शिव शंभु मिले शान्ति छाया।
मिटे कष्ट सुख का बने शंभु साया।
समस्त जीव प्राणी के उर के हो वासी।
नमन है मेरा हे जगत सुख के दाता।

ना मैं योग जानूँ ना मैं जानूँ पूजा।
नमन करूँ किसको नहीं कोई दूजा।
करो मेरी रक्षा दुखो से निवारों।
चरणवंदना मेरी शंभु स्वीकारो।

54

आदि दूत

सनातन ही अनन्त है, सनातन ही अनादि है। सनातन से पहले कुछ नहीं था, सनातन के बाद कुछ नहीं रहेगा। आप लोग सोचेंगे कि मैं ऐसा क्यों कह रहा हूँ, क्योंकि इसके पीछे कुछ कारण हैं। सनातन सृष्टि के सृजन की मूल है।सनातन कोई धर्म नहीं है

Leave a Reply