सौतेला

सौतेला

जब भी हिन्दु के घर में मुंडन, विवाह आदि मंगल कार्यों में मंत्र पड़े जाते हैं, तो उसमें संकल्प की शुरुआत में इसका जिक्र आता है:

जम्बू द्वीपे भारतखंडे आर्याव्रत देशांतर्गते…

हमारे देश में प्राचीन काल से हज़ारों रिषि मुनि ,लाखों संत, लाखों धर्म प्रचारक और हज़ारों संस्थाएँ थीं और आज भी हैं जो स्वयं को सनातन का सबसे बड़े संरक्षक मानते हैं, लेकिन वह क्या कारण हैं जो पूरे संसार में फैला सनातन सिकुड़ कर केवल हिन्दुस्तान तक रह गया।सबको ये तो मालूम है कि बौद्ध धर्म आया इस्लाम धर्म आ गया, ईसाई धर्म आ गया, और भी बहुत से धर्म इसी सनातन से निकलकर आज पूरी दुनियाँ में फैले हुए हैं लेकिन वह क्या कारण है जो सनातन से ये धर्म पैदा हुए और सनातन ख़त्म होता चला गया।

हिन्दुस्तान में हज़ारों मंदिर तोड दिये गये लेकिन फिर भी अभी हज़ारों मंदिर देश में हैं ।हमारे देश में शंकराचार्य ने चारों कोनों में चार मठ भी बना दिये लेकिन सनातन की दुर्गति होने से नहीं रोक पाये। शंकराचार्य महान बन गये सनातन को बचाने वालों में उनके योगदान को लोग बहुत महत्व देते हैं। बहुत से लोग शंकराचार्य पर अध्ययन कर रहे हैं शंकराचार्य के मंदिर जगह बना दिये हैं। अभी राम मंदिर फिर से बन जायेगा लेकिन इसकी क्या गारंटी है कि यह मंदिर कितने दिन सुरक्षित रहेगा।

हिन्दु सनातन के इतिहास को पढ़ता है लेकिन समझता नहीं कि सनातन के विनाश के पीछे क्या कारण हैं। संतों की वाणी सुनने से सनातन नहीं बचेगा। संतों का प्रचार करने से सनातन नहीं बचेगा। सनातन बचेगा तो मूल समस्या को जानने के बाद उसको दूर करने से ।
सौतेला बस इस शब्द के पीछे दौड़ो और सनातन की परतें उघाड़ते चले जाओ समस्या मिल जायेगी।

सृष्टि के प्रारंभ में धरती सात द्वीपों में बंटी थी ।
पुराणों और वेदों के अनुसार धरती के सात द्वीप -जम्बू, प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौंच, शाक एवं पुष्कर थे ।इसमें से जम्बू द्वीप सभी के बीचोबीच स्थित है।

‘ जम्बूद्वीप: समस्तानामेतेषां मध्य संस्थित:,
भारतं प्रथमं वर्षं तत: किंपुरुषं स्मृतम्‌,
हरिवर्षं तथैवान्यन्‌मेरोर्दक्षिणतो द्विज।
रम्यकं चोत्तरं वर्षं तस्यैवानुहिरण्यम्‌,
उत्तरा: कुरवश्चैव यथा वै भारतं तथा।
नव साहस्त्रमेकैकमेतेषां द्विजसत्तम्‌,
इलावृतं च तन्मध्ये सौवर्णो मेरुरुच्छित:।
भद्राश्चं पूर्वतो मेरो: केतुमालं च पश्चिमे।
एकादश शतायामा: पादपागिरिकेतव: जंबूद्वीपस्य सांजबूर्नाम हेतुर्महामुने।- (विष्णु पुराण)

जम्बूद्वीप वह जगह है जहां 12 बार देवासुर संग्राम हुआ था।अंतिम संग्राम में दैत्यों के राजा बली ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर पूरी पृथ्वी पर राज किया था।
देवासुर संग्राम की वजह अगर ढूँढ लोगे तो सनातन की दुर्गति की वजह जान जाओगे।

अगली पोस्ट में मैं वह वजह लेकर आऊँगा।

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आदि दूत

सनातन ही अनन्त है, सनातन ही अनादि है। सनातन से पहले कुछ नहीं था, सनातन के बाद कुछ नहीं रहेगा। आप लोग सोचेंगे कि मैं ऐसा क्यों कह रहा हूँ, क्योंकि इसके पीछे कुछ कारण हैं। सनातन सृष्टि के सृजन की मूल है।सनातन कोई धर्म नहीं है

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