संकल्प में शक्ति है

१२०० वर्ष पहले आदि शंकराचार्य ने जो कार्य सनातन को एक सूत्र में जोड़ने के लिये किये थे उनके बाद दूसरा कोई ऐसा संत नहीं आया जो उनके काम को आगे बढ़ा सकें इसलिए सनातन फिर बिखराव की ओर चला गया है धर्म पर राजनीति हावी हो गयी है सनातन को जातियों में बाँट कर नेता लोग अपनी सत्ता की पिपासा को शांत कर रहे हैं अगर यही चलता रहा तो सनातन को विलुप्त होने से कोई नहीं बचा सकता, किसी से इस बारें में बात करो तो वह यही कह कर पल्ला झाड़ लेता है कि सनातन ऐसे ही चलता रहेगा ये समाप्त नहीं होगा, ये लोग भूल जाते हैं कि दुनियाँ में पहले सिर्फ़ सनातन ही था लेकिन आज सनातन कहाँ बचा है धीरे धीरे सनातन में विश्वास रखने वाले कम होते जा रहे हैं और दूसरे पंथ बनते जा रहे हैं, सनातन को जन जन तक पहुँचाने के लिये एक संस्था का गठन हो रहा है जो आदि शंकराचार्य के बताये मार्ग पर चलने के लिये लोगों को प्रेरित करेगी, शंकराचार्य ने पैदल घूमकर लोगों को जागरूक किया था और सनातन को मज़बूत किया था। आज का युग इंटरनेट का युग है कोई भी सूचना कहीं भी पहुँचाने में कोई समय नहीं लगता