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आप घने अँधेरे में घिर सकते हो।
आपमें जागरूकता की पूर्णतया कभी हो सकती है।
आप रास्ते में पूरी तरह से खो सकते हैं, हो सकता है आप पूरी तरह भटक गये हों।
आप परमात्मा से बहुत दूर जा सकते हो।
हो सकता है अच्छाई का कोई छींटा आप नहीं देख पा रहे हैं।
आप सोच सकते हैं कि आप परमात्मा से दूर हैं।
आप सोच सकते हैं कि एकात्म होने का यही तरीक़ा है।
लेकिन जो भी हो आप हमेशा परमात्मा का हिस्सा रहेंगे।आप परमात्मा की सबसे सुन्दर रचना हैं।
परमात्मा के साथ विलय में ही आपका उद्धार है।
रास्ता कोई भी हो वह आपको परमात्मा के पास ही ले जायेगा।
“मैं ही प्रारम्भ हूँ और मैं ही अंत हूँ।
यही दिव्यात्मा की सुन्दरता है।
आप किसी भी तरह की पूजा पद्धति अपना सकते हैं।
आपको बस भक्ति के मार्ग पर चलते रहना और प्रार्थना करते रहना है।
अंत में आप स्वयं अपनी दिव्यता को खोज सकते हैं।
बस यही एक सत्य है यही वास्तविक है।
जब आपको मालूम हो जाता है कि परमात्मा ही सब कुछ है,तब आप स्वयं में स्वर्ग के आनंद की अनुभूति महसूस करेंगे और इस एहसास के साथ आप परमात्मा में विलीन हो जाओगे क्योंकि यही वह जगह है जहाँ आप हमेशा रहने वाले हैं।