संगत का असर
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग। चंदन विष व्यापत नहीं , लिपटे रहत भुजंग ॥ आइए सर्वप्रथम इस दोहे के मूल भाव को समझ लें ,उसके बाद यह स्पष्ट करूंगा…
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग। चंदन विष व्यापत नहीं , लिपटे रहत भुजंग ॥ आइए सर्वप्रथम इस दोहे के मूल भाव को समझ लें ,उसके बाद यह स्पष्ट करूंगा…